Siberian Stonechat..... वैज्ञानिक नाम: Saxicola maurus भारत में पॉपुलर नाम 'खरपिड्डा' यह एक प्रवासी पक्षी है जो यूरोप एशिया और अफ्रीका के कई हिस्सों में पाए जाते हैं. जैसा कि हम सभी जानते हैं हिमालय की तराई वाला भाग कई सारे बायोडाइवर्सिटी का बसेरा है. यह पक्षी भी हिमालय के आसपास लगभग 1500 मीटर से लेकर 3000 के मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है. भारत में इसे कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे कि पाषाण गोजा पक्षी, खरपिड्डा पक्षी इत्यादि.... यह छोटा सा पक्षी बड़ा ही मनमौजी और फुरतीला है. यह गर्मी के दिन हिमालय की तराई वाले जंगलों में गुजारता है तथा अंडे भी इन्हीं जंगलों में देता है, और सर्दियों के मौसम में यह हिमालय से दूर खुले मैदान और झाड़ियों अर्थात थोड़ा गर्म जगह में आ जाता है. जैसा कि देखने से ही लग रहा है यह पक्षी सामान्य गौरैया से भी छोटा होता है. नर स्टोन चैट का सिर काला होता है तथा गर्दन पर सफेद पट्टी होती है. गर्दन के ठीक नीचे लाल रंग का या केसरी रंग का धब्बा होता है. मादा स्टोन चेट, नर से थोड़ी भिन्न होती है, इसका पेट मटमैला और पंख मादा गौरैया की तरह होते हैं, दूर से देखने पर आपको यह मादा गौरैया चिड़िया की तरह ही नजर आएगी अतः इसकी पहचान करना थोड़ा मुश्किल है........अधिकांश लोग तो इसे बगरो अर्थात गौरैया ही समझा करते हैं....😊 यह पक्षी अपने प्रजनन काल के लिए विभिन्न जगहों पर प्रवास करता है. यह खुले मैदानों और झाड़ियों वाले मैदानों में घोंसला बनाना पसंद करता है. यह छोटी पहाड़ियों के किनारों पर भी अपना घोंसला बनाता है. इस पक्षी की खासियत यह है कि यह पेड़ पर घोंसला नहीं बनाता है बल्कि जमीन पर झाड़ियों के नीचे घोंसला बनाता है. अंडे देने के लिए यह हिमालय के जंगलों में चला जाता है तथा सर्दियां आने पर यह पक्षी हिमालय पहाड़ों को छोड़कर भारत के खुले मैदानों में दूर-दूर तक प्रवास करता है. इसे भारत में सर्दियों के दिनों में दिल्ली के यमुना बायोडाइवर्सिटी में आसानी से देखा जा सकता है. और सबसे बड़ी खुशी की बात है यह है कि यह आजकल हमारे इलाके में भी दिख रहा हैे, जिसे आप अपनी फोटोग्राफी के माध्यम से लोगों को दिखाने की बखूबी कोशिश कर रहे हैं......😊 स्टोनचेट पक्षी का भोजन कीट पतंगे इल्लियाँ लार्वे और छोटे-छोटे टिड्डे इत्यादि हैं.....😊
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Siberian Stonechat.....
ReplyDeleteवैज्ञानिक नाम: Saxicola maurus
भारत में पॉपुलर नाम 'खरपिड्डा'
यह एक प्रवासी पक्षी है जो यूरोप एशिया और अफ्रीका के कई हिस्सों में पाए जाते हैं. जैसा कि हम सभी जानते हैं हिमालय की तराई वाला भाग कई सारे बायोडाइवर्सिटी का बसेरा है. यह पक्षी भी हिमालय के आसपास लगभग 1500 मीटर से लेकर 3000 के मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है.
भारत में इसे कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे कि पाषाण गोजा पक्षी, खरपिड्डा पक्षी इत्यादि....
यह छोटा सा पक्षी बड़ा ही मनमौजी और फुरतीला है. यह गर्मी के दिन हिमालय की तराई वाले जंगलों में गुजारता है तथा अंडे भी इन्हीं जंगलों में देता है, और सर्दियों के मौसम में यह हिमालय से दूर खुले मैदान और झाड़ियों अर्थात थोड़ा गर्म जगह में आ जाता है.
जैसा कि देखने से ही लग रहा है यह पक्षी सामान्य गौरैया से भी छोटा होता है. नर स्टोन चैट का सिर काला होता है तथा गर्दन पर सफेद पट्टी होती है. गर्दन के ठीक नीचे लाल रंग का या केसरी रंग का धब्बा होता है. मादा स्टोन चेट, नर से थोड़ी भिन्न होती है, इसका पेट मटमैला और पंख मादा गौरैया की तरह होते हैं, दूर से देखने पर आपको यह मादा गौरैया चिड़िया की तरह ही नजर आएगी अतः इसकी पहचान करना थोड़ा मुश्किल है........अधिकांश लोग तो इसे बगरो अर्थात गौरैया ही समझा करते हैं....😊
यह पक्षी अपने प्रजनन काल के लिए विभिन्न जगहों पर प्रवास करता है. यह खुले मैदानों और झाड़ियों वाले मैदानों में घोंसला बनाना पसंद करता है. यह छोटी पहाड़ियों के किनारों पर भी अपना घोंसला बनाता है. इस पक्षी की खासियत यह है कि यह पेड़ पर घोंसला नहीं बनाता है बल्कि जमीन पर झाड़ियों के नीचे घोंसला बनाता है. अंडे देने के लिए यह हिमालय के जंगलों में चला जाता है तथा सर्दियां आने पर यह पक्षी हिमालय पहाड़ों को छोड़कर भारत के खुले मैदानों में दूर-दूर तक प्रवास करता है. इसे भारत में सर्दियों के दिनों में दिल्ली के यमुना बायोडाइवर्सिटी में आसानी से देखा जा सकता है. और सबसे बड़ी खुशी की बात है यह है कि यह आजकल हमारे इलाके में भी दिख रहा हैे, जिसे आप अपनी फोटोग्राफी के माध्यम से लोगों को दिखाने की बखूबी कोशिश कर रहे हैं......😊
स्टोनचेट पक्षी का भोजन कीट पतंगे इल्लियाँ लार्वे और छोटे-छोटे टिड्डे इत्यादि हैं.....😊
बहुत बहुत शुक्रिया...
Delete🙏
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