यह परीनिया जाति के इनोरनाटा प्रजाति का बर्ड है जो भारत व दक्षिण-पूर्व एशिया में काफी संख्या में पाया जाता है. परीनिया दो टाइप के होते हैं एक plain prinia और दूसरा jungle prinia. Jungle prinia इसकी तुलना में ज्यादा notorious होती है और खासकर जंगल जैसे बॉयोडाइवर्सिटी में पाई जाती है वहीं plain prinia शांत होती है और मैदानी इलाके में पाई जाती है. जैसा कि देखने से लग ही रहा है, इसका आकार काफी छोटा होता है (लगभग 13 cm जबकि jungle prinia 15 cm ) और यह पक्षी मुख्यत दलदली घास के मैदान, खुले जंगलों, झाड़ीनुमा जंगलों, फार्म लेंड व बगीचों में दिखाई देते हैं. चूकिं ऐसे जगहों पर बड़ा-बड़ा पेड़ तो होता नहीं है इसलिए ये झाड़ियों के एक पौधे से दूसरे पर उछल-कूद करते देखी जा सकती है. इसी कारण स्थानीय भाषा में इसे सादा दुम वाली फुदकी के नाम से भी जाना जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम Prinia inornata है. इसका मुख्य भोजन कीट, चींटे, भृंग, मकड़ियां व फूलों का रस (nectar) होता है. नर और मादा दोनों एक जैसे ही होते हैं. इसे लांग टैल्ड वार्बलर भी कहते हैं. इसके शरीर के ऊपरी हिस्से का रंग धुंधला मटियाला-भूरा होता है. और पेट वाला हिस्सा हल्का पीला एवं गले के पास उजला रंग होता है. इसकी पूंछ लम्बी होती है( गर्मियों में थोड़ा ज्यादा बड़ा ठंड की तुलना में यही नहीं बदलते मौसम के दौरान इसके रंग में भी हल्का परिवर्तन आते रहता है) चोंच छोटी व काले रंग की होती है. इसे गौर से देखने पर आपको इसके आंखों के चारों ओर एक घेरा तथा उसके ऊपर एक लाइन दिखेगी. यही नहीं इसके आँखों में एक और खासियत है, इसकी आंख की पुतली पीली-भूरी होती है. इसके प्रजनन का समय मार्च से सितंबर तक होता है. नर व मादा दोनों मिल कर घोंसला बनाते हैं. इनका घोंसला आमतौर पर बड़ी घास व सरकंडों के बीच लटका होता है। घोंसला एक लंबे कपनुमा आकार का होता है, जो मुख्यत घास से बना होता है. यह तीन से पांच अंडे देती है. चूजे निकलने पर नर व मादा मिल कर इन्हें पालते हैं. छोटे चूजों को इल्ली व मकड़ियां खिलाई जाती है, जिससे भरपूर प्रोटिन चूजों को मिल जाया करता है. इन पक्षियों के पंजे काफी मजबूत होते हैं. तभी तो छोटे से, पतले से झाड़ी पर भी आसानी से यह बैठ जाते हैं और उसके एक तने से दूसरे तने पर मजबूत पंजों से चलते रहते हैं......... (Information provided by Munni Yadav, Madhepura)
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यह परीनिया जाति के इनोरनाटा प्रजाति का बर्ड है जो भारत व दक्षिण-पूर्व एशिया में काफी संख्या में पाया जाता है. परीनिया दो टाइप के होते हैं एक plain prinia और दूसरा jungle prinia. Jungle prinia इसकी तुलना में ज्यादा notorious होती है और खासकर जंगल जैसे बॉयोडाइवर्सिटी में पाई जाती है वहीं plain prinia शांत होती है और मैदानी इलाके में पाई जाती है. जैसा कि देखने से लग ही रहा है, इसका आकार काफी छोटा होता है (लगभग 13 cm जबकि jungle prinia 15 cm ) और यह पक्षी मुख्यत दलदली घास के मैदान, खुले जंगलों, झाड़ीनुमा जंगलों, फार्म लेंड व बगीचों में दिखाई देते हैं. चूकिं ऐसे जगहों पर बड़ा-बड़ा पेड़ तो होता नहीं है इसलिए ये झाड़ियों के एक पौधे से दूसरे पर उछल-कूद करते देखी जा सकती है. इसी कारण स्थानीय भाषा में इसे सादा दुम वाली फुदकी के नाम से भी जाना जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम Prinia inornata है. इसका मुख्य भोजन कीट, चींटे, भृंग, मकड़ियां व फूलों का रस (nectar) होता है. नर और मादा दोनों एक जैसे ही होते हैं. इसे लांग टैल्ड वार्बलर भी कहते हैं. इसके शरीर के ऊपरी हिस्से का रंग धुंधला मटियाला-भूरा होता है. और पेट वाला हिस्सा हल्का पीला एवं गले के पास उजला रंग होता है. इसकी पूंछ लम्बी होती है( गर्मियों में थोड़ा ज्यादा बड़ा ठंड की तुलना में यही नहीं बदलते मौसम के दौरान इसके रंग में भी हल्का परिवर्तन आते रहता है) चोंच छोटी व काले रंग की होती है. इसे गौर से देखने पर आपको इसके आंखों के चारों ओर एक घेरा तथा उसके ऊपर एक लाइन दिखेगी. यही नहीं इसके आँखों में एक और खासियत है, इसकी आंख की पुतली पीली-भूरी होती है.
ReplyDeleteइसके प्रजनन का समय मार्च से सितंबर तक होता है. नर व मादा दोनों मिल कर घोंसला बनाते हैं. इनका घोंसला आमतौर पर बड़ी घास व सरकंडों के बीच लटका होता है। घोंसला एक लंबे कपनुमा आकार का होता है, जो मुख्यत घास से बना होता है. यह तीन से पांच अंडे देती है. चूजे निकलने पर नर व मादा मिल कर इन्हें पालते हैं. छोटे चूजों को इल्ली व मकड़ियां खिलाई जाती है, जिससे भरपूर प्रोटिन चूजों को मिल जाया करता है. इन पक्षियों के पंजे काफी मजबूत होते हैं. तभी तो छोटे से, पतले से झाड़ी पर भी आसानी से यह बैठ जाते हैं और उसके एक तने से दूसरे तने पर मजबूत पंजों से चलते रहते हैं.........
(Information provided by Munni Yadav, Madhepura)